कांग्रेसियों ने निकाली अंकिता भंडारी न्याय यात्रा

यात्रा में हरीश रावत-यशपाल आर्य हुए शामिल
वीआईपी की नाम सामने लाने की उठाई मांग
देहरादून। उत्तराखंड के चर्चित अंकिता भंडारी हत्याकांड को लेकर कांग्रेस ने भाजपा सरकार के खिलाफ फिर से मोर्चा खोल दिया है। मंगलवार को अंकिता भंडारी को न्याय दिलाने की मांग को लेकर कांग्रेस जनों ने हाथीबड़कला से लेकर गांधी पार्क तक अंकिता भंडारी न्याय यात्रा निकाली। कांग्रेस की यात्रा में पूर्व सीएम हरीश रावत और नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य शामिल हुए। हरीश रावत ने कहा कि यह यात्रा अंकिता समेत उन बेटियों को समर्पित है, जो बेटियां अन्याय और शोषण का शिकार हो रही हैं।
हरीश रावत ने कहा, सुनवाई के दौरान एक गवाह ने कोर्ट में कहा कि उसे रिजॉर्ट में बुलडोजर चलाने का आदेश दिया गया था। उन्होंने सवाल उठाया कि रिजॉर्ट में बुलडोजर चलाने का मतलब कोई साक्ष्य मिटाना चाहता था। हत्या के साक्ष्यों को नष्ट करना आपराधिक कृत्य है। हरीश रावत ने मांग उठाते हुए कहा कि गवाह के बयान के आधार पर बुलडोजर चलाने का आदेश देने वालों के खिलाफ मुकदमा दर्ज होना चाहिए। एडिशनल चार्जशीट दायर करके उनको ट्रायल के लिए कोर्ट में पेश किया जाना चाहिए।
नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने अंकिता भंडारी मामले में अपनी तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि अंकिता को रिजॉर्ट मालिक की ओर से वीआईपी को विशेष सेवा देने के लिए बाध्य किया गया। लेकिन जब वह इनकार कर देती है तो उसकी हत्या कर दी जाती है। उन्होंने कहा कि अंकिता के परिजनों ने जिस वीआईपी के नाम का उल्लेख किया है, वह भाजपा में शीर्ष पद पर बैठा व्यक्ति है। यशपाल आर्य का कहना है कि हम अंकिता को न्याय दिलाने के लिए संघर्षरत हैं और चाहते हैं कि उस व्यक्ति का चेहरा बेनकाब हो।

अंकिता के माता-पिता ने लिया वीआईपी का नामः हरीश रावत
देहरादून। हरीश रावत ने कहा कि अंकिता भंडारी ने अपनी व्हाट्सएप चैट में इस बात का उल्लेख किया था कि किसी वीआईपी को सर्विस दिए जाने के लिए उसपर दबाव बनाया जा रहा है। लेकिन उसके बाद अंकिता की हत्या कर दी जाती है। अंकिता के माता-पिता ने उस वीआईपी का नाम लिया है। हरीश रावत ने कहाव कि चाहे कितना भी बड़ा व्यक्ति क्यों ना हो, उसके खिलाफ जांच की जानी चाहिए। ऐसे में धामी सरकार को प्राथमिकता के आधार पर उस वीआईपी के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराते हुए जांच करनी चाहिए। ताकि जांच के बाद तथ्य सामने आ सके। इस मामले में जो भी वीआईपी है, उसका नाम सामने लाना भी सरकार का कर्तव्य बनता है।

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