योगी सरकार ने छात्रवृत्ति और फीस भरपाई में फर्जीवाड़ों पर रोक लगाने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाया है। इस नए उपाय के अनुसार, राज्य सरकार शिक्षण संस्थानों को कोड आवंटित करेगी, जिससे स्कूल और कॉलेज स्कॉलरशिप के लिए फर्जी आवेदनों का प्रतिरोध किया जा सकेगा।
यह कदम केंद्र सरकार के मार्गदर्शन पर आधारित है, जिसके अनुसार सभी राज्यों में छात्रवृत्ति और फीस भरपाई की सरकारी सुविधा प्राप्त करने वाले शिक्षण संस्थानों को एक विशेष कोड आवंटित किया जाएगा। इससे फर्जी आवेदनों का आसान पता लगाया जा सकेगा और इससे छात्रों को उनके अधिकार में सही रूप से छात्रवृत्ति और फीस भरपाई प्राप्त करने में मदद मिलेगी।
इस सार्वजनिक निर्णय से योगी सरकार शिक्षा क्षेत्र में फर्जीवाड़ों के खिलाफ कठिन कदम उठाने का संकेत देती है, और यह छात्रों के लिए सुविधाजनक होने की सुनिश्चिती प्रदान करती है। यह उपाय शिक्षा क्षेत्र को और भी पारदर्शी और सुविधाजनक बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है।
इसके परिणामस्वरूप, शैक्षिक संस्थानों के छात्र-छात्राएं अब सरकारी छात्रवृत्ति और शैक्षिक शुल्क की सुविधा का आनंद उठा सकेंगे। इस नई पहल के बाद, ऑनलाइन आवेदनों में किसी भी फर्जी दस्तावेज को मान्यता नहीं दी जाएगी, जिससे छात्रवृत्ति और फीस भरपाई के प्रक्रियाओं में सच्चाई और ईमानदारी को बढ़ावा मिलेगा।
इसका मतलब है कि अब से छात्र और छात्राएं आसानी से अपनी छात्रवृत्ति और शैक्षिक शुल्क के लिए आवेदन कर सकेंगे, और उन्हें डिजिटल प्रक्रियाओं में आवेदन करने का फायदा होगा। इससे फर्जी आवेदनों का प्रतिरोध किया जा सकेगा, और छात्रों को उनके अधिकारों के अनुसार सही रूप से छात्रवृत्ति और शैक्षिक शुल्क प्राप्त करने में मदद मिलेगी।
इस सार्वजनिक निर्णय से, शैक्षिक संस्थान और छात्र-छात्राएं अब और भी संवेदनशील होंगे और यह सुनिश्चित करेगा कि शिक्षा के क्षेत्र में और भी अधिक योग्य और पारदर्शी प्रक्रियाएं हों। इससे छात्रों को उनके उच्चतम शैक्षिक लक्ष्यों की प्राप्ति में मदद मिलेगी और शिक्षा क्षेत्र को विकसित करने के मार्ग पर कदम बढ़ाने में मदद मिलेगी।
समाज कल्याण राज्य मंत्री असीम अरुण के अनुसार, केन्द्र सरकार ने 2024-25 शैक्षिक सत्र से कक्षा 9 से 12 तक के शिक्षण संस्थानों के लिए एक एकीकृत जिला सूचना प्रणाली (यूनीफाइड डिस्ट्रिक्ट इन्फार्मेशन सिस्टम फॉर एजुकेशन) को अनिवार्य बनाया है। इसके साथ ही, कक्षा 12 के ऊपर की कक्षाओं के लिए आल इंडिया हायर एजुकेशन कोड (AIHEC) को भी अनिवार्य बनाया गया है।
उन्होंने बताया कि इस प्रक्रिया को संचालित करने के लिए केन्द्र सरकार के शिक्षा मंत्रालय से एपीआई (Application Programming Interface) और अन्य आवश्यक साधनों का उपयोग किया जायेगा, ताकि छात्रवृत्ति पोर्टल का सुविधाजनक रूप में इंटीग्रेट किया जा सके।
यह नई पहल शिक्षा संस्थानों को डिजिटल प्रक्रियाओं में अधिक सहयोगी और संवेदनशील बनाएगी, और यह सुनिश्चित करेगी कि छात्रों को उनके अधिकार में सही रूप से छात्रवृत्ति प्राप्त करने में मदद मिलती है। इसके साथ ही, इस प्रक्रिया से फर्जी आवेदनों का प्रतिरोध किया जा सकेगा, जिससे शिक्षा क्षेत्र में और भी अधिक पारदर्शीता और सुविधाजनकता प्राप्त होगी।
सरकार द्वारा फर्जी छात्रवृत्ति के खिलाफ कदम उठाने के लिए एक महत्वपूर्ण पहल शुरू की गई है, और जल्द ही स्कूलों को एक विशेष कोड जारी किया जाएगा। यह कोडिंग व्यवस्था के तहत नए नियम और प्रक्रियाओं को अमल में लाने की प्रक्रिया शुरू की गई है, जिसका प्रदेश के समाज कल्याण विभाग द्वारा काम जोरों से किया जा रहा है। इस प्रयास का उद्देश्य फर्जी छात्रवृत्तियों को पूरी तरह से रोकना है, और यह योजना अगले चार-पांच महीनों में पूरी तरह से तैयार कर ली जाएगी।
इस उपयोजना के अनुसार, यह नई कोडिंग व्यवस्था अगले शैक्षिक सत्र से सक्रिय की जाएगी, जिससे छात्रवृत्ति पोर्टल को एपीआई सॉफ़्टवेयर के साथ जोड़ा जाएगा। इस प्रक्रिया के माध्यम से, शिक्षा संस्थानों के द्वारा फर्जी छात्रवृत्तियों और फीस भरपाई के खिलाफ सख्त कदम उठाने में मदद मिलेगी।
यह पहल यूपी के साथ ही अन्य राज्यों में भी मान्यता प्राप्त कर चुके हैं, जिससे छात्र-छात्राएं अब आसानी से सरकारी स्कॉलरशिप योजनाओं का लाभ उठा सकेंगे और फर्जी आवेदनों के खिलाफ सख्त कदम उठाया जा सकेगा।