विधानसभा चुनाव ने अलग कर दी किसान नेताओं की राहें, अब पिछले चेहरे संभाल रहे हैं कमान; दो गुटों में बंट गया आंदोलन

चंडीगढ़।दो दिन पहले चंडीगढ़ के महात्मा गांधी प्रशासनिक संस्थान में तीन केंद्रीय मंत्रियों और विभिन्न किसान संगठनों के नेताओं की हुई बातचीत बेशक अभी सिरे न चढ़ी हो, लेकिन किसान आंदोलन-2 ने अब उन चेहरों के हाथ में कमान सौंप दी है जो अब तक पिछली सीटों पर बैठते थे। बलबीर सिंह राजेवाल, दर्शन सिंह, गुरनाम सिंह चढूनी , लक्खोवाल, प्रेम सिंह भंगू , बूटा सिंह बुर्जगिल और जोगिंदर सिंह उगराहां जैसे नेता आंदोलन के परिदृश्य से गायब हैं।

भारत बंद का आह्वान

असल में इसका एक बड़ा कारण 2022 में विधानसभा के चुनाव भी रहे हैं जहां संयुक्त किसान मोर्चा जिसकी अगुवाई में आंदोलन लड़ा गया, वह कई हिस्सों में बंट गया। एक हिस्सा संयुक्त किसान मोर्चा राजनीतिक और एक संयुक्त किसान मोर्चा गैर राजनीतिक के रूप में सामने आया। बलबीर सिंह राजेवाल अपने पांच संगठनों के साथ अलग से भारत बंद का आह्वान कर रहे हैं। उनका कहना है कि देश भर की 56 यूनियनों और किसान संगठनों ने इसको समर्थन दिया है। इसमें बैंक कर्मचारी भी शामिल हैं।

संयुक्त किसान मोर्चा बना लिया गैर राजनीतिक

राजेवाल और उनके सहयोगी संगठनों ने पंजाब में विधानसभा चुनाव लड़ा जिसको लेकर दूसरे संगठन नाराज होकर अलग हो गए और उन्होंने अपना संयुक्त किसान मोर्चा गैर राजनीतिक बना लिया। चुनाव में राजेवाल व अन्य उम्मीदवार बुरी तरह हारे।

राजेवाल उस हार से निराश नही हैं। उनका कहना है कि चुनाव लड़ने का फैसला उनका नहीं बल्कि किसान संगठनों का था लेकिन अब 16 फरवरी का भारत बंद आंदोलन को एक नई दिशा देगा। उन्होंने बताया कि पूरे भारत में सभी शहरों के प्रमुख चौकों पर बड़े धरने और प्रदर्शन किए जाएंगे। उन्होंने यह जरूर साफ किया कि हम रेलें नहीं रोकेंगे।

आपातकालीन में कहीं जा रहे लोगों को दी जाएगी छूट

प्रमुख सड़क मार्ग जरूर बंद किए जाएंगे लेकिन मरीजों, बारात, हवाई अड्डों पर जाने वाले और आपातकालीन में कहीं जा रहे लोगों को छूट दी जाएगी। अब 13 फरवरी को दिल्ली चलो का आह्वान संयुक्त किसान मोर्चा गैर राजनीतिक ने किया है और वह नए आंदोलन में कूद पड़ा है। उनके साथ किसान मजदूर संघर्ष कमेटी भी है और इनका दावा है कि देश के अन्य राज्यों में संगठनों ने भी उन्हें समर्थन देने की बात की है। मांगें वही पुरानी हैं।

विरोध प्रदर्शन का नेतृत्‍व करने वाले चेहरों में ये शामिल

सभी 23 फसलों पर न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद की गारंटी, किसानों को कर्ज माफी , पिछले आंदोलन के दौरान मारे किसानों के परिजनों को मुआवजा व नौकरी, उन पर दर्ज केसों को रद करने आदि । लेकिन इन्हें केंद्र सरकार पर दबाव डालकर हल करने की बजाए सभी संगठन अपनी अपनी लड़ाईयां लड़ते दिखाई पड़ रहे हैं।

विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व करने वाले प्रमुख चेहरों में कृषि नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल शामिल हैं, जो बीकेयू (एकता-उगराहां) से अलग हुए गुट भारती किसान यूनियन (एकता-सिद्धूपुर) के प्रमुख हैं। इन्हें हरियाणा के नेता अभिमन्यु कोहर और अमरजीत सिंह मोरही का भी समर्थन प्राप्त है। कोहर, जो भिवानी से हैं, पहले एसकेएम से जुड़े थे, लेकिन अब एसकेएम (गैर-राजनीतिक) का नेतृत्व करते हैं।

भूमि बचाओ मुहिम में ले रहे हैं भाग

अंबाला के रहने वाले मोरही भारतीय किसान यूनियन (शहीद भगत सिंह) के अध्यक्ष हैं, जो भाकियू (चढ़ूनी) से अलग हुआ गुट है। किसान मजदूर संघर्ष समिति के महासचिव सरवन सिंह पंधेर संयुक्त मोर्चा के समन्वयक हैं।

नेताओं के अनुसार, बीकेयू एकता-आजाद, आजाद किसान समिति (दोआबा), भाकियू (भरमके), किसान मजदूर संघर्ष समिति, भारतीय किसान यूनियन (क्रांतिकारी), भाकियू(शहीद भगत सिंह), भारतीय किसान मजदूर यूनियन, किसान सहित कई संघ महा पंचायत (हरियाणा), पगड़ी संभाल जट्टा (हरियाणा), भाकियू (सर छोटू राम), आजाद किसान यूनियन (हरियाणा), प्रगतिशील किसान मोर्चा, संयुक्त किसान सभा, राष्ट्रीय किसान संगठन, आथिराय किसान मंच और भूमि बचाओ मुहिम भाग ले रहे हैं।

धरनों में महिलाओं और युवाओं की गिनती ज्‍यादा

ऐसा नहीं है कि दूसरे संगठन कुछ कर नहीं रहे हैं वे अपने अपने स्तर पर अपने आंदोलन को आगे बढ़ा रहे हैं। मसलन जहां बलबीर सिंह राजेवाल 16 फरवरी को भारत बंद के आह्वान पर काम कर रहे हैं वहीं भाकियू उगराहां के जोगिंदर सिंह उगराहां हर रोज चार विभिन्न स्थानों पर धरने दे रहे हैं। उनके धरनों में महिलाओं और युवाओं की गिनती ज्यादा है। जोगिंदर सिंह उगराहां ने 13 फरवरी के दिल्ली कूच पर कहा कि हम फरवरी के अंत में दिल्ली कूच के कार्यक्रम पर काम करेंगे। उन्होंने कहा कि 13 फरवरी का कार्यक्रम संयुक्त किसान मोर्चा गैर राजनीतिक है , हमारा नहीं।

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