बसपा ने अपनी शक्ति को चार राज्यों के विधानसभा चुनावों के माध्यम से प्रकट करने के प्रयास किए हैं। इसके लिए वह छत्तीसगढ़ में जीजीपी के साथ गठबंधन कर चुकी है। बसपा ने राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में प्रदर्शन किया है, और तेलंगाना में भी वोट प्राप्त किया है। ये चुनाव बसपा के लिए महत्वपूर्ण हैं क्योंकि इससे सीटों के साझा करने में उन्हें लाभ हो सकता है।
लोकसभा चुनाव से पहले चार राज्यों के विधानसभा चुनाव बसपा के लिए महत्वपूर्ण हैं। वह इन राज्यों में पूरी तरह से अपनी प्राधिकृत्य को प्रमोट करने के लिए प्रतिबद्ध है। इन राज्यों में बेहतर प्रदर्शन के माध्यम से वह लोकसभा चुनाव की दिशा में कदम बढ़ाने का प्रयास कर रही है। इसलिए, बसपा अब इंडिया और NDA से दूरी बनाने के बजाय राज्यों में गठबंधन की दिशा में कदम बढ़ा रही है। इसी रणनीति के तहत, वह छत्तीसगढ़ में गोंडवाना गणतंत्र पार्टी (जीजीपी) के साथ गठबंधन कर लिया है। बसपा की नेता मायावती ने पहले ही इस बारे में कह दिया है कि वह पंजाब के सिवाए किसी अन्य विधानसभा चुनाव या लोकसभा चुनाव में गठबंधन नहीं करेंगी, और वह अकेले ही चुनाव मैदान में उतरेंगी।
इसके बाद, उन्होंने पंजाब के साथ हरियाणा में गठबंधन की चर्चा की है। जब एनडीए के मुकाबले इंडिया गठबंधन बना, तो भी वह उससे दूर रही है। दूसरी ओर, इस बार पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में से चार राज्यों, जैसे कि राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना में बसपा ने अपनी ताकत का पूरा दिखाया है।
जानकारों का कहना है कि बसपा चाहती है कि वह पहले इन चार राज्यों में अपनी शक्ति को पूरी तरह से प्रकट करें। इसका मुख्य कारण यह है कि यहां उनका जनाधार है। बसपा ने 2018 में राजस्थान में 6 सीटें जीती थी, मध्य प्रदेश में 2 सीटें जीती थी, और छत्तीसगढ़ में जीजीपी के साथ मिलकर दो सीटें जीती थी। तेलंगाना में वे किसी सीट पर जीत नहीं हासिल कर सकी, लेकिन 3 प्रतिशत वोट प्राप्त किए थे। इसलिए, इन राज्यों में अधिक अच्छे प्रदर्शन के माध्यम से उन्होंने अपनी शक्ति को प्रमोट करने का निशाना बनाया है।
चार राज्यों के विधानसभा चुनाव बसपा के लिए कितने महत्वपूर्ण हैं, इसे इस बात से समझा जा सकता है कि वह गठबंधन से इनकार करने के बावजूद अब छत्तीसगढ़ में जीजीपी के साथ गठबंधन कर चुकी है। इस बार बसपा 57 सीटों पर चुनाव लड़ेगी, जबकि जीजीपी 37 सीटों पर। इसके माध्यम से बसपा को यह संकेत देने का मौका मिलेगा कि उनकी ताकत अब कम नहीं हुई है। राजनीतिक दल उनके साथ आने को तैयार हैं। वहीं जीजीपी का आदिवासी बहुल इलाकों में प्रभाव हो सकता है, और यदि वह फायदा प्राप्त करता है, तो उन्हें कुछ सीटें भी मिल सकती हैं।
इसी तरह राजस्थान और मध्य प्रदेश में बेहतर प्रदर्शन करने से, उन्हें लोकसभा चुनाव में फायदा हो सकता है। फिलहाल, बसपा यहां इंडिया और NDA के साथ दूरी बना रही है, लेकिन यदि लोकसभा चुनाव से पहले कुछ सूचना मिलती है, तो सीटों के साझा करने में इन चार राज्यों के प्रदर्शन का फायदा हो सकता है। यूपी के अलावा, इन राज्यों में वे लोकसभा सीटों पर दावेदारी कर सकती हैं।