विधायक अब्दुल्ला आजम, जो समाजवादी पार्टी से हैं, के दो जन्म प्रमाणपत्रों के मामले में रामपुर की एमपी-एमएलए कोर्ट ने फिर एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाने का इंतजाम किया है। इस मामले में अब्दुल्ला आजम के साथ ही उनके परिवार के अन्य सदस्य जैसे कि आजम खान और उनकी पत्नी तंजीन फात्मा भी आरोपी बने हुए हैं।
मामले की पूरी दिन-तारीख के साथ, यह मामला 16 अक्टूबर को सुनवाई के लिए बचाव पक्ष को समय देने के बाद आजमा गया था। बचाव पक्ष द्वारा और मोहलत की मांग की गई थी, लेकिन कोर्ट ने इस मांग को खारिज कर दिया।
इस मुद्दे का शुरुआती कदम बीजेपी विधायक आकाश सक्सेना ने 2019 में उठाया था, और अब यह मामला महकमे में चरणबद्ध रूप से पहुँच चुका है। दो जन्म प्रमाणपत्रों के मामले में अब्दुल्ला आजम और उनके वकील और विरोधी पक्ष की जमानत पर हैं।
पुलिस ने जांच के बाद मामले की चार्जशीट कोर्ट में प्रस्तुत की थी। सभी आरोपियों को इस समय जमानत पर छोड़ दिया गया है, और मामला एमपी-एमएलए मजिस्ट्रेट कोर्ट में चर्चा के लिए है। 11 अक्टूबर को, इस मुकदमे में अब्दुल्ला आजम के वकीलों को तर्क विचार करने के लिए उत्तेजना दी गई थी, लेकिन उन्होंने इस तारीख पर एक वकीली प्रस्तावना पेश की थी, जिसपर कोर्ट ने फैसला दिया कि वे 16 अक्टूबर तक लिखित तर्क प्रस्तुत कर सकते हैं।
इसके अलावा, विधायक आकाश सक्सेना के वकील संदीप सक्सेना ने यह बताया कि मंगलवार को अब्दुल्ला की ट्रांसफर अपील सुप्रीम कोर्ट से खारिज हो गई है, जिससे एमपी-एमएलए कोर्ट अब इस मामले की सुनवाई कर सकती है। इसके परिणामस्वरूप, रामपुर में सुरक्षा की व्यवस्था को बढ़ा दिया गया है, और मंगलवार को पुलिस अधीक्षक राजेश द्विवेदी ने कई थानों की पुलिस के साथ पैदल मार्च का आयोजन किया और सुरक्षा की जांच की।