देहरादून। उत्तराखंड असेंबली में यूसीसी बिल मंगलवार को पेश हो गया है। इससे पहले उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी का अनोखा अंदाज दिखाई दिया। सीएम धामी भारत के संविधान की मूल प्रति हाथों में पकड़कर विधानसभा पहुंचे। कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी व प्रेमचंद अग्रवाल भी सीएम के साथ मौजूद थे। उनके हाथों में समान नागरिक संहिता के ड्राफ्ट की प्रति थी। दरअसल, आज भारत के बाकी 27 राज्यों और 8 केंद्र शासित प्रदेशों की नजर उत्तराखंड पर है। आजादी के बाद उत्तराखंड देश का पहला राज्य होने जा रहा है जहां यूसीसी लागू होगा। गोवा में पुर्तगालियों के समय से यूसीसी लागू है। ऐसे में देश के अन्य राज्य भी आगे यूसीसी लागू करने पर विचार करेंगे। रिटायर्ड जज रंजना देसाई की अध्यक्षता में यूसीसी का ड्राफ्ट तैयार किया गया है। जाहिर है एक महिला ही महिलाओं के सामने आने वाली दिक्कतों को बेहतर समझ सकती है। इसके साथ ही समाज में धर्म के नाम पर व्याप्त अन्य असमानताओं को भी यूसीसी के जरिए दूर करने की कोशिश की जा रही है। उत्तराखंड की धामी सरकार जो यूसीसी बिल पेश किया है उसमें सभी धर्म के विवाह के लिए न्यूनतम आयु भी 18 वर्ष तय की गई है। ऐसा होने से बेटियों के कम उम्र में शादी की व्यवस्था को खत्म हो जाएगी। ड्राफ्ट में शादी के पंजीकरण को भी आवश्यक किया गया है। इससे भविष्य की सुरक्षा तय हो पाएगी। शादी को लेकर महिलाओं की सुरक्षा को मजबूती दी जा सकेगी। ऐसा ना करने वालों को तमाम सरकारी सुविधाओं का लाभ नहीं मिलेगा।