ढह गया भदोही के पूर्व विधायक विजय मिश्रा का किला, सिंगर से रेप मामले में चौपट हुआ कैरियर।

भदोही के पूर्व विधायक विजय मिश्रा को एक गंभीर आरोप में सजा सुनाई गई है, और इसका मतलब है कि उनके गुनाहों का परिणाम आ गया है. उन्हें भदोही की जिला अदालत ने गोपीगंज क्षेत्र में हुई एक गायिका के साथ रेप केस में 15 साल की सजा सुनाई है. उन पर आरोप था कि 2014 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने उस गायिका को अपने घर में ही रेप किया था. इस मामले में उनकी गिरफ्तारी के बाद काफी हंगामा हुआ, और गैंगस्टर विकास दुबे के बाद उन्हें भी एनकाउंटर का खतरा था. उन्होंने इस स्थिति से बचने के लिए अंडरग्राउंड में छिप जाने का निर्णय लिया और मार्च 2021 में मध्य प्रदेश पुलिस के सामने सरेंडर कर दिया.

विजय मिश्रा, जिन्होंने चार बार विधायक पद को अपने नाम किया, ने खुद को एक ब्राह्मण नेता के रूप में प्रस्तुत करने का प्रयास किया था. लेकिन यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री रंगनाथ मिश्र ने इस दावे को खारिज कर दिया था. उन्होंने यह तर्क दिया कि एक व्यक्ति, जिसके खिलाफ 73 मुकदमे पंजीकृत हैं, जिनमें 14 मामले हत्या के हैं और इनमें दस मामले ऐसे हैं जिनमें एक ब्राह्मण की हत्या शामिल है, वैसे व्यक्ति को ब्राह्मण नेता कैसे माना जा सकता है? विजय मिश्रा का बचपन से ही एक अपराधी रिकॉर्ड था, और उन्होंने साल 2002 में रामेश्वर पांडेय हत्याकांड के बाद राजनीति में कदम रखा. इसके बाद से ही वह राजनीति के साथ ही अपराध को भी अंजाम देने लगे थे.

2002 की यह कहानी से शुरू होती है, जब उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री राजनाथ सिंह थे। इस दौरान प्रदेश में विधानसभा चुनाव का ऐलान हो चुका था। भदोही जिले की ज्ञानपुर सीट से, समाजवादी पार्टी के विजय मिश्रा ने अपने टिकट पर नामांकन किया था, जबकि बीजेपी के विधायक गोरखनाथ पांडेय भी मैदान में थे। चुनाव के इस महायुद्ध में, गोरखनाथ पांडेय के खिलाफ विजय मिश्रा ने कठिनाइयों का सामना किया। इसके परिणामस्वरूप, इस घमासान में गोरखनाथ पांडेय के भाई रामेश्वर पांडेय की असामयिक मौत हो गई। इस घटना के खिलाफ, लोगों ने सड़कों पर उतरने शुरू किया।

परंतु इसके बावजूद, विजय मिश्रा ने चुनाव जीतकर अपने हिस्से की सरकार बनाई। उन्होंने ब्राह्मणों के प्रति एक खास प्यार और समर्पण दिखाया, और यह कोशिश की कि सिपाही से लेकर एसएचओ तक, सभी वर्गों को समान दर्जा मिले। हालांकि, दबाव बढ़ गया और 2011 में दिल्ली में उन्होंने सरेंडर कर लिया और जेल में चले गए। फिर भी, 2012 के चुनाव में सपा ने उन पर भरोसा दिखाया और उन्होंने जेल में रहते हुए चुनाव जीत लिए। यह समय था, जब सपा की सरकार भी बन गई, और इसके परिणामस्वरूप, विजय मिश्रा को अगस्त 2012 में जमानत भी मिल गई। फिर, 2014 के लोकसभा चुनाव में, विजय मिश्रा ने अपनी बेटी सीमा मिश्रा को समाजवादी पार्टी के टिकट पर उतारा

इसी समय के चुनाव में, उनके ऊपर गायिका द्वारा रेप का आरोप लगा था, जिससे पार्टी में बड़ी उलझनें पैदा हो गईं। इसके परिणामस्वरूप, 2017 के चुनाव में सपा ने उनका टिकट वापस ले लिया। उस समय, विजय मिश्रा ने निषाद पार्टी के टिकट के साथ विधायक बन लिए।

वहीं, बीजेपी की सरकार ने अपराधियों के खिलाफ कठिन कदम उठाए और उनकी घेराबंदी शुरू की। स्थिति यहां तक पहुंच गई कि उन स्वजातीय अधिकारियों के खिलाफ, जो अपने सिक्के की धड़ल्ले में थे, सरकार ने सबसे पहले कदम उठाया। फिर पुराने केस खोले गए, और इसका प्रभाव आज के समय में कोर्ट के फैसले में दिखा रहा है।

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