रामकुमार चौधरी, हिमाचल के विधायक और दून विधानसभा के प्रतिनिधि, अवैध खनन की एक शिकायत के मामले में देहरादून जिला प्रशासन को खूब चखाया। इस मामले में, चौधरी साहब की तलाश लगभग सप्ताह तक चली, जबकि देहरादून में उनके पते का कोई सूचना नहीं मिला।
प्रशासन ने पहले यह समझने की कोशिश की कि कौन हैं ये चौधरी साहब और उनकी विधानसभा से कैसे जुड़े हैं। परंतु इस प्रक्रिया में पता चला कि उत्तराखंड में ऐसे किसी चौधरी साहब का कोई विधायक स्थान नहीं है।
इसके बाद, अफसरों ने पड़ोसी राज्यों की ओर रुख कर अपनी तलाश जारी रखी, और यह ज्ञात हुआ कि दून विधानसभा के विधायक रामकुमार चौधरी हिमाचल के हैं, और उनकी तलाश गलत राज्य में हो रही थी।
वास्तविकता में, हिमाचल प्रदेश के दून विधानसभा के विधायक रामकुमार चौधरी ने अपने विधानसभा क्षेत्र में अवैध खनन के मामले में केंद्र सरकार को शिकायत दर्ज करवाई थी। जब शिकायत को प्राप्त किया गया, तो संबंधित जांच के निर्देश और विधायक का पक्ष दर्ज करवाने वाले दस्तावेजों को हिमाचल प्रदेश के दून में भेजने का आदेश था। हालांकि, एक लिपिकीय त्रुटि के कारण, पत्र गलती से देहरादून के जिलाधिकारी कार्यालय में भेज दिया गया था।
जब पत्र प्राप्त हुआ, तो जिला प्रशासन के अफसर शिकायत के संदर्भ में विधायक का बयान दर्ज कराने के लिए उन्होंने तलाश में हाथ डाल दिया, लेकिन देहरादून जिले में वही विधायक जिसका उल्लेख किया गया था, उनमें से कोई भी रामकुमार चौधरी नाम का नहीं था। यही नहीं, पूरे प्रदेश की 70 विधानसभाओं में चौधरी साहब की खोज सात दिनों तक जारी रही। रिकॉर्ड पर विश्वास नहीं हुआ, और इसके बाद फोन भी अनिश्चितता को दूर करने के लिए चरण बदल दिया। आखिरकार, सत्यता का पर्दाफाश हुआ कि यह विधायक देहरादून का नहीं, बल्कि हिमाचल प्रदेश की दून विधानसभा के हैं, जहां से रामकुमार चौधरी विधायक के रूप में प्रतिष्ठित हैं।
वास्तविकता में, दून विधानसभा से संबंधित पत्र त्रुटिवश देहरादून में पहुँच गया था। इस पत्र में विधायक रामकुमार ने पर्यावरण से संबंधित अपनी शिकायत को दर्ज करवाया था। इस मामले में उनके पक्ष का विचार लिया जाना चाहिए था, लेकिन चूंकि यह मामला हिमाचल का निकला, इसलिए इस पत्र को हिमाचल भेज दिया गया है।