कानपुर के कुशाग्र कनोडिया मर्डर कांड ने न सिर्फ कुशाग्र के घरवालों को जकझोर के रख दिया वंही पूरा कानपुर सदमें में।

कुशाग्र के अपहरण, फिरौती वसूली और उसकी हत्या की योजना रचिता अपने प्रेमी के साथ मिलकर करीब एक महीने से कर रही थी। पुरानी कड़ियों को जोड़ते हुये पुलिस इन तक पहुँच पाई। परिवारवालों ने बताया है कि लगभग साल पहले परिवार ने रचिता का ट्यूशन बंद कर दिया था, लेकिन अब कुशाग्र स्वरूप नगर में कोचिंग के लिए पढ़ाई कर रहा है। इसके बावजूद, रचिता ने इस परिवार से बढ़ते रिश्तों को बनाए रखा।

मनीष कनोडिया की पत्नी ने मार्च में एक बच्ची को जन्म दिया था। करीब 20 दिन पहले, रचिता ने इस बच्ची से मिलने का बहाना बनाया और अपने प्रेमी प्रभात शुक्ला के साथ कुशाग्र के घर पहुंची। उसने खुद को उसके परिवार के सभी तथ्यों से अवगत किया, जैसे कि वह कहां ट्यूशन पढ़ता है, किस समय ट्यूशन जाता है, कौन उसे छोड़ता है, और क्या वह अकेले ट्यूशन जाता है।

गार्ड राजेंद्र का कहना है कि शनिवार को दोपहर करीब 4:00 बजे, स्कूटी पर रचिता और प्रभात ने उसको यहां से जाते दिखाया था। उनका दावा है कि उसी दिन कुशाग्र की रेकी भी थी।

इसके अलावा, प्रभात के मोहल्लेवालों ने पुलिस को बताया है कि जिस रस्सी से कुशाग्र को मारा गया है, वह रस्सी प्रभात ने एक सप्ताह पहले खरीदी थी। वे रस्सी को खरीदकर हाथ में लाए थे और कई लोगों ने उन्हें उसके साथ देखा था। पुलिस इन सब जानकारियों को एक साथ मिलाकर इस घटना के आसपास एक महीने से चल रही योजना का अंदाजा लगा रही है।

गार्ड राजेंद्र के सावधान और जागरूक प्रवृत्ति ने उनके कारोबारी बेटे की हत्या के पीछे की घटनाओं को जल्दी से स्पष्ट किया। उनके अनुसार, रात 8:30 और 9 बजे के बीच, एक युवक स्कूटी पर नकाबपोश और हेलमेट पहनकर पहुंचा और उन्हें एक लिफाफा दिया। उसने कहा कि यह लिफाफा मनीष कनोडिया ने भेजा है और वह इसे उनके घर पहुंचा देंगे। इसके बाद, जब राजेंद्र ने संदेह किया, तो युवक से कहा कि वह हेलमेट और नकाब उतारकर आएं और खुद लिफाफा लें। क्योंकि रात हो चुकी थी, वह युवक का चेहरा स्पष्ट रूप से नहीं देख सके। वह संदेहित थे, इसलिए उन्होंने स्कूटी के नंबर को देखने का प्रयास किया, लेकिन नंबर को अगले हिस्से पर कालिख पुती हुई थी , जबकि पिछले हिस्से के नंबर प्लेट पर कपड़ा बांधा हुआ था।

सुरक्षा गार्ड ने ध्यान से कपड़ा हटाया और नंबर याद किया। उस समय, गार्ड को अब तक यह नहीं पता था कि कुशाग्र गायब हो गए हैं, इसलिए वह बस इतना ही कर सका। जब फिरौती के पत्र की जानकारी मिली, तो उसने इस घटना की जानकारी पुलिस को दी। उसने बताया कि वह नंबर किसी और की गाड़ी का नहीं, बल्कि ट्यूशन पढ़ने आने वाली शिक्षिका रचिता की स्कूटी का था, जिसे वह छानते समय देखा था। दोनों की स्कूटी का रंग भी एक समान था। इस सूचना के बाद ही पुलिस रचिता और उसके पुरुष मित्र प्रभात शुक्ला तक पहुंच सकी।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *