चंडीगढ़। हाई सुरक्षा जेल में बंद बिश्नोई के जेल में इंटरव्यू पर हाई कोर्ट में आज सुनवाई हुई। पंजाब सरकार की तरफ से हाई कोर्ट में जवाब दायर कर कहा गया कि लारेंस बिश्नोई का इंटरव्यू पंजाब की न तो जेल में हुआ है, ना ही पंजाब पुलिस की कस्टडी में हुआ है।
एडीजीपी जेल की तरफ से दो सदस्य कमेटी की रिपोर्ट हाई कोर्ट में पेश की गई। जिसमें यह साफ कर दिया गया है कि लॉरेंस बिश्नोई का इंटरव्यू जारी होने के समय वह पंजाब की ना तो जेल में था ना ही पंजाब पुलिस की कस्टडी।
जेल में इंटरव्यू के नहीं मिले कोई सबूत
एसआइटी को पंजाब की जेल में इंटरव्यू के कोई सबूत नहीं मिले हैं। कोर्ट को बताया गया कि उस दौरान वह दिल्ली और राजस्थान की पुलिस कस्टडी में था। इस पर हाई कोर्ट ने कहा की आठ महीनों बाद यह बताया जा रहा है की पंजाब की जेल में यह इंटरव्यू नहीं हुई , एसआइटी ने किया क्या है, इस एसआइटी को क्या आदेश दिए गए थे।
राजस्थान की किसी जेल से इस इंटरव्यू होने की संभावना
अगर पंजाब की जेल में नही हुई तो किस जेल में और कहां और कब हुई ये इंटरव्यू इस पर एडीजीपी की तरफ से बताया गया की राजस्थान की किसी जेल से इस इंटरव्यू होने की संभावना है। कोर्ट ने कहा कि इसके अलावा अन्य मुद्दा जेलों में मोबाइल फोन के इस्तेमाल का है।
वहीं एडीजीपी ने खुद माना की यह एक बड़ा मुद्दा है। कोर्ट ने आगे पूछा कि सिर्फ छह जेलों में ही जैमर क्यों बाकी जेलों में क्यों नहीं, सरकार एक समय सीमा तय करे कि कब तक इस पर पूरी तरह से लगाम लगाई जा सकती है।
इसके लिए एक्सपर्ट्स की मदद ली जाए, कोर्ट ने कहा कि पंजाब की जेलों में मोबाइल जैमर और सीसीटीवी कब तक लगेंगे, कैसे नेट इस्तेमाल हो रहा है, इसको रोकने के लिए कया कदम उठाए जा रहे हैं और इस पर कितना खर्चा आएगा।
हाई कोर्ट ने पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज चंडीगढ़ को दिए आदेश
कोर्ट ने जेलों में बाडी स्कैनर, सीसीटीवी,एक्स्ट्रा स्टाफ, जेलों को बाउंड्री वॉल पर नेट लगाए जाएं ताकि बाहर से मोबाइल न फेंके जाएं। कोर्ट ने कहा कि यह सब कब तक पूरा होगा, सरकार इसकी समय सीमा हाई कोर्ट को बताई जाए।
अगर इसमें पैसों की कमी आती है तो हाई कोर्ट को बताया जाए। हाई कोर्ट ने पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज चंडीगढ़ को आदेश दिए हैं कि वह एक एक्सपर्ट दें जो इस पर रोकथाम के लिए क्या कदम उठाए जा सकते हैं, उस पर सहयोग करें।
हाई कोर्ट ने यह भी कहा कि जेल में मोबाइल फोन लेकर जाना बैन होना चाहिए चाहे वह कर्मचारी ही क्यों ना और बात करने के लिए लैंडलाइन फोन के इस्तेमाल पर जोर दिया जाए। इन्ही आदेशों के साथ हाई कोर्ट ने सुनवाई अगले बुधवार तक स्थगित कर दी है और सरकार से इस पर जवाब दाखिल करने के आदेश दे दिए हैं। कोर्ट ने साथ ही कहा है की अब इसमें और देरी बर्दाश्त नहीं की जा सकती है।