पीतल के बारे में दुनिया भर में मशहूर उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद को एक बड़ी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। इसका कारण इजराइल-हमास संघर्ष है, जिसके चलते अब तक इस शहर के पीतल उद्योग को 7,000 करोड़ रुपये से अधिक का क्षति हुआ है। यदि यह संघर्ष और अधिक दिन तक जारी रहा, तो यह क्षति 9,000 करोड़ तक बढ़ सकती है। इस मुद्दे की आलोचना की जा रही है क्योंकि इस संघर्ष के परिणामस्वरूप इजराइल ने अपने आदेश रद्द कर दिए हैं और गल्फकंट्रीज क्षेत्र से भी मांग में भारी कमी आई है।
कई आयातकर्ताओं ने तैयार माल के ऑर्डर तक होल्ड कर दिया है। बता दें कि दुनियाभर से पीतल के निर्मित उत्पाद मुरादाबाद से निर्यात किए जाते हैं। विशेष रूप से यहाँ के फूलदान, आलादीन के चिराग, और अन्य सजावटी आइटम की मांग साल भर बनी रहती है। पीतल व्यापारिकों का कहना है कि कोविड काल से पहले, मुरादाबाद से करीब 11 हजार करोड़ रुपये के माल का निर्यात होता था।
कोविड के काल में व्यापार पर असर पड़ा और एक्सपोर्ट मात्र आठ करोड़ रुपये रह गया। खासकर, कोविड के समय, व्यापार की गति बढ़ रही थी, लेकिन फिर रूस, यूक्रेन और अब इजराइल-हमास संघर्ष ने व्यापार को पूरी तरह से प्रभावित किया। वर्तमान में केवल तीन से चार हजार करोड़ रुपये का माल ही निर्यात हो पा रहा है। साथ ही, तैयार माल के आदेश रद्द होने के कारण, फैक्ट्रियों में माल का निष्कासण हो गया है। इस तरह की प्रक्रिया से पीतल व्यापारियों को दोहरा प्रहार पहुंचा है।
निर्यातक, सतपाल के अनुसार, मुरादाबाद से निर्मित डेकोरेटिव आइटम्स को दुबई जा पहुंचते हैं, और वहां से मध्य पूर्व के होलसेलर्स को आगे बेचते हैं। हालांकि, हमास और इजराइल के युद्ध के कारण अब न तो दुबई से आर्डर आ रहे हैं और न ही अन्य देशों से।
सतपाल ने बताया कि नए आर्डर नहीं मिलने से हानि हो रही है, जो पहले के आर्डरों के लिए माल तैयार हो गया था, लेकिन उनके आर्डर कैंसिल होने या रोके जाने की वजह से दोहरा नुकसान भी हो रहा है।
मुरादाबाद पीतल एक्सपोर्ट एसोसिएशन से जुड़े सतपाल का कहना है कि कई निर्यात कंपनियां सीधे इजराइल को निर्यात करती हैं, और इन कंपनियों का कारोबार अब बिल्कुल ठप हो गया है।