चीन ने 2020 के जून महीने में लद्दाख घाटी में भारत और चीन के सैनिकों के बीच हुई हिंसक झड़प के बाद वास्तविक नियंत्रण रेखा, जिसे एलएसी कहा जाता है, पर अपने सैनिकों की तैनाती बढ़ा दी है. साथ ही, उन्होंने इस क्षेत्र में बुनाई गई आधारिक संरचनाओं को भी मजबूती दी है। अमेरिकी रक्षा विभाग पेंटागन की वार्षिक रिपोर्ट में इस तरह का दावा किया गया है। रिपोर्ट में यह भी उजागर किया गया है कि विगत एक साल के दौरान, चीन ने भारत के साथ सीमा पर सैनिकों की तैनाती में वृद्धि होने के साथ-साथ, निरंतर इंफ्रास्ट्रक्चर का निर्माण भी किया है। इससे क्षेत्र में एक बार फिर चिंता बढ़ गई है।
पेंटागन की रिपोर्ट में वर्णित किया गया है कि 2022 में एलएसी क्षेत्र में चीन ने अंडरग्राउंड स्टोरेज सुविधाएँ, नई सड़कें, भूटान के पड़ोसी गांवों का निर्माण, पंगोंग झील पर एक नया पुल, दोहरे उद्घाटन वाले हवाई अड्डे, और हेलीपैड का विकास किया है। न्यूज एजेंसी आईएएनएस की रिपोर्ट के अनुसार, एलएसी के पश्चिमी हिस्से में चीन द्वारा चार संयुक्त हथियार ब्रिगेड (सीएबी) के साथ एक ताक़तवर सीमा रेजिमेंट का गठन किया गया है। यह सीमा रेजिमेंट झिंजियांग और तिब्बत सैन्य जिलों के दो डिवीजनों के सहयोग से तैनात है।
भारत और चीन के सीमा पर चल रहे सैन्य तैनाती की दृष्टि से ड्रैगन सैनिकों द्वारा वास्तविक नियंत्रण रेखा पर कमी नहीं आई है। पेंटागन की रिपोर्ट के अनुसार, पूर्वी हिस्से में थिएटर कमांड के तहत तीन हल्के सीएबी और एलएसी क्षेत्र में तीन अतिरिक्त सीएबी तैनात किए गए हैं। हल्के सीएबी की कुछ इकाइयों को वापस बुलाया गया है, लेकिन अधिकांश सैनिक सीमा पर तैनात हैं।
भूटान के समीप गलवान घाटी में, जून 2020 में, भारत और चीन के सैनिकों के बीच एक हिंसक झड़प आई थी। इस झड़प में चीनी सैनिकों को भारी नुक़सान हुआ था। दोनों देशों की सेनाएं करीब एक महीने तक दोनों देशों की सेना एक दूसरे के आमने सामने खड़ी रही थीं। इसके पश्चात, राजनयिक स्तर पर बातचीत के बाद, स्टैंडऑफ समाप्त किया गया था।
अमेरिकी रक्षा मंत्रालय अपनी रिपोर्ट में बताया है कि चीन ने पिछले एक साल में परमाणु हथियारों की संख्या को भी बढ़ा दिया है। इससे पहले की तुलना में, और अधिक परमाणु हथियार बनाने के कारण, अब उनके पास 500 परमाणु हथियार हैं। दावा किया जा रहा है कि चीन का लक्ष्य है कि 2030 तक वे 1000 परमाणु हथियार बना सकें।