52 लाख रुपये की धोखाधड़ी में लिया था कस्टड़ी में
अयोध्या। धोखाधड़ी के मामले में उत्तराखंड की पुलिस सिद्धार्थनगर जिले के मोहाना इलाके के महुलानी निवासी एक युवक को पकड़ने आई थी। शुक्रवार की देर शाम अयोध्या में रामपथ पर तीन पुलिसकर्मियों ने उसे हिरासत में लिया। इसके कुछ ही देर बाद युवक की हालत बिगड़ गई। उसे वापस जिला अस्पताल लाया गया। यहां चिकित्सकों ने उसे मृत घोषित कर दिया। इस घटना के बाद पुलिस कर्मियों के हाथ-पांव फूल गए। युवक एलएलबी का छात्र था। वह एक्जाम देने के लिए रामनगरी आया था। परिवार के लोगों ने अयोध्या और उत्तराखंड पुलिस पर गंभीर आरोप लगाए हैं।
उत्तराखंड के रुद्रपुर कोतवाली पुलिस को आरएस लॉजिस्टिक के ओनर हरीश मुंजाल ने तहरीर दी थी। आरोप लगाया था कि उन्हें नई ट्रक की चेचिस पूरे देश में भेजने का टेंडर मिला था। कंपनी की शाखा में प्रबंध कार्य देखने के लिए यूपी के सिद्धार्थनगर जिले के रहने वाले भास्कर पांडे को नियुक्त किया गया था। तमिलनाडु स्थित कार्यालय से रोड टैक्स जमा करने के लिए लगभग 5 लाख रुपए प्रति सप्ताह भास्कर को भेजा जा रहा था।
भरोसा जमने के बाद भास्कर ने अपने हरियाणा के मेवात के जमालगढ़ निवासी मोहम्मद मुनीम खां और राजस्थान के अलवर का रहने वाले फारूख व चार अन्य साथियों के साथ मिलकर कूटरचित रसीद तैयार करा लिए। इसके बाद कंपनी को 52 लाख 40000 का चूना लगा दिया। तहरीर पर पुलिस ने जांच शुरू की। जांच कोतवाली के एसआई दीपक कौशिक कर रहे थे। उन्हीं की टीम भास्कर को पकड़ने के लिए अयोध्या पहुंची।
शुक्रवार की शाम 7ः00 बजे भास्कर ने इलेक्ट्रिक बस पकड़ी। इस दौरान लता मंगेशकर चौक और हनुमानगढ़ी के बीच बस में तीन लोग चढ़े। उन्होंने भास्कर को बस से नीचे उतरने के लिए बोला। पीछे-पीछे भास्कर का दोस्त रवि भी पहुंच गया, लेकिन भास्कर वहां नहीं मिला। पूछने पर एक ट्रैफिक सिपाही ने बताया कि उत्तराखंड पुलिस एक युवक को पकड़ कर ले गई है। उत्तराखंड की पुलिस भास्कर को लेकर रूद्रपुर जा रही थी। इस बीच राच 9ः10 बजे वह उसे लेकर अयोध्या जिला अस्पताल पहुंची। यहां डॉक्टरों ने बताया कि भास्कर की यहां लाने से पहले ही मौत हो चुकी है।
भास्कर के भाई शुभम त्रिपाठी ने बताया कि 1 साल पहले भास्कर उत्तराखंड में नौकरी करता था। वहां जीजा भी काम करते हैं। 2 महीने बाद ही भास्कर घर लौट आया। बताया कि अभी कंपनी में काम नहीं है। घर पहुंचने की दो माह बाद वेतन के लिए भास्कर को बुलाया गया। इसके बाद थाने में बंद कर दिया गया। सोर्स लगाने पर उसे छोड़ा गया था। लैपटॉप और फोन रख लिया गया था। बाद में क्लीन चिट देकर फोन वापस कर दिया गया था।
भास्कर अयोध्या के एक कॉलेज से एलएलबी कर रहा था। इस समय उसका पेपर चल रहा था। वह कई दिनों से अयोध्या में ही था। पिछले 6 दिनों से वह नया घाट चौराहे के पास किराए पर कमरा लेकर रह रहा था। रोज की तरह वह अपने दोस्त और रिश्तेदार रवि के साथ एग्जाम देने के बाद कमरे पर आया और उसके बाद कुछ देर आराम करने के बाद खाना खाने के लिए निकला था। इस दौरान उत्तराखंड की पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया।
घटना के बाद उत्तराखंड पुलिस ने अयोध्या कोतवाली सिटी पुलिस को बताया कि उन्होंने भास्कर को पकड़ने के बाद उसके अन्य साथियों को पकड़ने के लिए जा रही थी। इस दौरान उसकी तबीयत खराब हो गई। जिला अस्पताल ले जाने पर उसकी मौत हो गई। घटना से उत्तराखंड पुलिस पर कई सवाल खड़े हो रहे हैं। उत्तराखंड से आने के बाद जिस कोतवाली क्षेत्र में भास्कर को गिरफ्तार किया गया वहां इसकी पूर्व सूचना क्यों नहीं दी गई।
दूसरा सवाल यह है कि जब भास्कर के साथी सभी आरोपी यूपी के बाहर के हैं तो पुलिस किस साथी की तलाश कर रही थी। इससे भी बड़ा सवाल यह है कि अगर वह भास्कर को रूद्रपुर ले जा रही थी तो उसने उसका मेडिकल कराने के बाद ट्रांजिट रिमांड क्यों नहीं लिया। अयोध्या पुलिस ने भी उत्तराखंड पुलिस को कटघरे में खड़ा किया है। अयोध्या के एसएसपी की माने तो उत्तराखंड पुलिस अपने एक वांछित अभियुक्त की तलाश में आई थी।
उत्तराखंड पुलिस ने अयोध्या पुलिस को आरोपी की गिरफ्तारी के संबंध में कोई सूचना नहीं दी। वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक राज करण नैय्यर का कहना है कि उधम सिंह नगर की पुलिस भास्कर को लेकर जा रही थी। इससे पुलिस को लगा कि उसका स्वास्थ्य ठीक नहीं है। इसके बाद उसे अस्पताल ले जाया गया। मृतक का पंचनामा एक मजिस्ट्रेट के द्वारा किया जा रहा है। डॉक्टर के पैनल से वीडियोग्राफी के बीच उसका पोस्टमार्टम कराया जा रहा है।