आगरा। खाकी वर्दी के पास अब डंडे के साथ-साथ हाथ में मोबाइल और सीट पर कंप्यूटर है। एक युवा आइपीएस ने इसी कंप्यूटर के जरिए पुलिस की पेंचीदगियों को आसान बनाया। डिजिटल नवाचार से फरियादियों और पुलिस के बीच की पेचीदगी आसान हुई और भरोसा भी बढ़ा है। एक वर्ष में वे पुलिसिंग के लिए आठ एप बना चुके आइपीएस सोनम कुमार की पहचान साफ्टवेयर इंजीनियर आइपीएस के रूप में होने लगी है।
12 जनवरी 2023 को आगरा कमिश्नरेट में डीसीपी वेस्ट जोन के पद पर तैनात हुए सोनम कुमार ने सबसे पहले त्वरित जनसुनवाई और उस पर कार्रवाई का आइलाइन रिकार्ड रखने के लिए जनसुनवाई साफ्टवेयर तैयार किया। आफिस में आने वाले फरियादियों का प्रार्थना पत्र इस एप पर आडियो या वीडियो साक्ष्य के साथ अपलोड होता है। संबंधित थाने से इसकी जांच करने के बाद रिपोर्ट भी इस पर दी जाती है।
यहां अपलोड शिकायत थाने में जांच अधिकारी के पास पहुंचती है। इस पर त्वरित कार्रवाई अपलोड की जाती है। एप के साथ गूगल मीट से एसएचओ और एसीपी को जोड़कर रखने की व्यवस्था भी की है। आफिस में शिकायत लेकर आने वाले फरियादी को लैपटाप के सामने बैठाकर बात की जाती है। संबंधित थाने के एसएचओ और एसीपी भी जुड़ते हैं।
इसके बाद तत्काल कार्रवाई होती है। डीसीपी सोनम कुमार बताते हैं कि एप के माध्यम से सात हजार फरियादियों की समस्याओं का निस्तारण किया जा चुका है। सभी का डाटा भी एप में स्टोर है, इसमें विजिट काउंट का भी विकल्प है। इससे यह भी पता चल जाता है कि अमुक फरियादी पहले कितनी बार उनके आफिस में आ चुका है। एक वर्ष में इसके सकारात्मक परिणाम सामने आ रहे हैं। अब फरियादी को दूसरी बार आफिस आने की आवश्यकता नहीं पड़ती है।
कोर्ट की प्रक्रिया से लेकर ड्यूटी की आनलाइन निगरानी
आइपीएस सोनम कुमार बताते हैं कि कमिश्नरेट व्यवस्था लागू होने के बाद अब पुलिस अधिकारियों को मजिस्ट्रेटी पावर मिल गए हैं। कोर्ट में होने वाली सुनवाई के लिए एवीडेंस बेस्ड इन्वेंस्टीगेशन ट्रैकिंग एप विकसित किया। इस एप के माध्यम से वादी अपने मोबाइल पर ही वाद की सुनवाई की तारीख व वाद की स्थिति के बारे में जानकारी कर सकता है। उच्च अधिकारियों के द्वारा मानीटरिंग के दौरान कोर्ट के काम व थानों के काम व वहां धारा 151 सीआरपीसी की कार्यवाही एकपक्षीय या द्विपक्षीय है व जमानत देने वाले व्यक्ति पुन: तो नहीं आ रहे, की जानकारी मिल जाती है।
बाह के अधिवक्ता नवीन कुमार कहते हैं कि इस एप की मदद से वे अपने क्लाइंट की तारीख का पता कर लेते हैं। उन्हें एसीपी कोर्ट में नहीं जाना पड़ता। इससे ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को भी सुविधा हुई है। वहीं एत्मादपुर की सावित्री देवी कहती हैं कि मैं शिकायत कराने डीसीपी आफिस गई थीं। जब वहां से वापस लौटकर थाने गई तो मेरी एफआइआर दर्ज हो चुकी थी। बताया गया कि मोबाइल पर उनकी तहरीर मिल चुकी है।
कर्मचारियों को भी मिली राहत
पुलिसकर्मियों की प्रतिदिन की ड्यूटी, वीआइपी ड्यूटी व जुलूस के लिए ड्यूटी के लिए डायनेमिक ड्यूटी मैनेजमेंट सिस्टम(डीडीएमएस) एप तैयार किया। इसमें कर्मचारी का नाम , पीएनओ, मोबाइल नंबर, ड्यूटी का स्थान अक्षांश व देशांतर के अनुसार कर्मचारियों को ड्यूटी पर लगाया जाता है।
कर्मचारियों को प्रतिघंटा उपस्थिति के लिए अपनी लोकेशन एप पर फीड करनी होती है। ऐसा न करने पर गैर हाजिरी अपडेट हो जाती है। वहीं जोन में नियुक्त सभी कर्मचारियों का करेक्टर रोल सहित पूरा डाटा आनलाइन सुरक्षित रखने के लिए पुलिस ई ह्यूमन रिसोर्स एलोकेशन (पहरा) एप बनाया।
यूपीएससी की तैयारी के लिए भी बनाया था एप
दिल्ली विश्वविद्यालय से इलैक्ट्रानिक्स एंड कम्युनिकेशन में इंजीनियरिंग करने वाले बिहार के नालंदा जिले के रहने वाले सोनम कुमार ने नोएडा में एक अमेरिकन कंपनी में वर्ष 2013 तक नौकरी की। नौकरी के दौरान तैयारी की और 2016 बैच के आइपीएस बने। सोनम कुमार बताते हैं कि यूपीएससी की व्यवस्थित तैयारी के लिए यूपीएससी प्रिपेरेशन एप बनाया था।
कई जिलों में उपयोग में लाया गया ई-चुनाव एप: सोनम कुमार ने बताया कि उनके द्वारा बनाया गया ई-चुनाव एप लोकसभा चुनाव के दौरान प्रदेश के कई जिलों में प्रयोग किया गया। इसके माध्यम से पुलिस की ड्यूटी लगाने में आसानी हुई।
मुरादाबाद में बनाया था हाजिरी का सिस्टम
एएसपी मुरादाबाद रहते हुए सोनम कुमार ने पुलिसकर्मियों की ड्यूटी के लिए बायोमैट्रिक सिस्टम तैयार कर दिया। इसकी सफलता के बाद उन्होंने सोच आगे बढ़ाई। डिजिटल शक्ति बढ़ाने के लिए लगातार काम करते रहे। आगरा कमिश्नरेट में तैनाती मिलने के बाद डिजिटल पुलिसिंग की शुरूआत की।