हाईकोर्ट ने एसएसपी को मशीनें सीज करने के दिए आदेश

कोसी नदी में अवैध खनन का मामला

नैनीताल। उत्तराखंड हाईकोर्ट ने उधम सिंह नगर जिले के बाजपुर में कोसी नदी के बख्शी गेट और अन्य जगहों पर हो रहे अवैध खनन के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की। मामले की सुनवाई के बाद मुख्य न्यायधीश जी नरेंद्र और न्यायमूर्ति आलोक मेहरा की खंडपीठ ने एसएसपी उधम सिंह नगर को निर्देश दिए कि जहां जहां पर अवैध खनन हो रहा है, वहां के एसएचओ को वायरलेस के माध्यम से संदेश भेजें। संबंधित एसएचओ उसका संज्ञान लेकर अवैध खनन कार्य में लगी मशीनों को सीज करें।
इसके साथ ही उत्तराखंड हाईकोर्ट ने अवैध खनन कार्यों में संलिप्त लोगों के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता की धारा के अंतर्गत मुकदमा दर्ज कर अगली तिथि तक अपनी रिपोर्ट पेश करने के आदेश दिए। साथ में कोर्ट ने उधम सिंह नगर एसएसपी से यह भी कहा कि अगर याचिकाकर्ता को कोई जानमाल की धमकी मिल रही है, तो उसको सुरक्षा प्रदान की जाए। मामले की अगली सुनवाई आगामी चार अप्रैल को होगी।
मामले के अनुसार उधम सिंह नगर के सुल्तानपुर पट्टी निवासी सलीम अहमद ने जनहित याचिका दायर कर कहा था कि उधम सिंह नगर जिले के बाजपुर में कोसी नदी में बिना पट्टा आवंटित हुए अवैध खनन किया जा रहा है। अवैध खनन की जद में आ रहे पानी को पम्पों से दूसरी जगह डाला जा रहा है, ताकि उनको खनन में कोई दिक्कत न हो। इसकी वजह से नदी का जल स्तर नीचा गिर रहा है और उनकी कृषि भूमि प्रभावित हो रही है। यही नहीं जंगली जानवर व जलीय जीव भी इससे प्रभावित हो रहे हैं। इसलिए इसपर रोक लगाई जाये। याचिकाकर्ता ने कहा कि यह क्षेत्र कृषि क्षेत्र घोषित है।
बता दें कि संसद के बजट सत्र के दौरान उत्तराखंड के पूर्व सीएम और हरिद्वार से बीजेपी सांसद त्रिवेंद्र सिंह रावत ने भी सदन में प्रश्न काल के दौरान नैनीताल, उधम सिंह नगर, हरिद्वार और देहरादून में अवैध खनन में संचालित हो रहे वाहनों का मुद्दा उठाया था।

रामनगर में मशीनों से चीरा जा रहा कोसी नदी का सीना, जिम्मेदार झाड़ रहे पल्ला
रामनगर। उत्तराखंड में अवैध खनन से जुड़ा मुद्दा खुद सूबे के पूर्व सीएम और हरिद्वार से बीजेपी सांसद त्रिवेंद्र सिंह रावत सदन में उठा चुके हैं। बावजूद इसके प्रदेश में नियमों का उल्लंघन कर खनन किया जा रहा है। नैनीताल जिले में रामनगर के तराई पश्चिमी में मशीनों से कोसी नदी का सीना चीरकर खनन किया जा रहा। ताज्जुब की बात ये है कि खनन की जिम्मेदारी देखने वाला वन विभाग और वन विकास निगम दोनों ने आंखें बंद रख रखी हैं।
कोसी नदी को कुमाऊं की जीवनदायिनी भी कहा जाता है, लेकिन जिस तरह से कोसी नदी में खनन हो रहा है, उससे कोसी नदी के अस्तित्व पर संकट खड़ा हो रहा है। कोसी नदी में जहां पहले परंपरागत तरीके से यानी मजदूरों से खनन कराया जाता था, तो वहीं अब बड़ी-बड़ी मशीनों से खनन कराया जा रहा है, जो सीधे-सीधे केंद्र सरकार की गाइडलाइन का उल्लंघन है।

अधिकारी एक-दूसरे पर डाल रहे जिम्मेदारी
रामनगर। वैसे कोसी नदी में गाइडलाइनों का उल्लंघन कर हो रहे खनन के लिए वन विकास निगम ने कहीं न कहीं वन विभाग को भी जिम्मेदार ठहराया है। वन विकास निगम के आरएम हरीश पाल का कहना है कि अपने क्षेत्र में हो रहे खनन पर तो उसकी टीम ध्यान दे रही है। लेकिन कोसी नदी के भाग 2 में हो रहे खनन पर कौन लगाम लगाएगा?

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