उत्तर प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष अजय राय के लिए मुश्किलें बढ़ गई हैं। वाराणसी की एमपी-एमएलए कोर्ट ने 8 साल पहले के अन्याय प्रतिकार यात्रा मामले में अब केवल अजय राय के खिलाफ मुकदमा चलाने का आदेश दिया है। विशेष जज एमपी एमएलए अवनीश गौतम की अदालत ने अन्य 81 आरोपियों के खिलाफ केस वापस लेने के आदेश दिए हैं। इसमें शामिल थे उनके अनुयायी, संत-साधु, संन्यासी और अन्य सदस्य।
अजय राय के खिलाफ इस मुकदमे को फिर से खोलने की मांग करने वाले अभियोजन पक्ष ने कहा कि उन्होंने 2015 में गणेश प्रतिमा के विसर्जन के समय केवल सांत्वना के लिए अन्याय प्रतिकार यात्रा आयोजित की थी, और उनके द्वारा घटित किए गए घटनाओं का कोई विवादक आधार नहीं था। उनका यह दावा है कि उनका सम्मान अविच्छिन्न है और उन्हें न्यायपालिका पर पूरा भरोसा है।
उच्च न्यायालय ने गंगा में प्रतिमा विसर्जन पर प्रतिबंध लगाया था, जिसका पालन करते हुए पुलिस ने मराठा गणेश उस्तव समिति की प्रतिमा का विसर्जन नहीं होने दिया था। इसके परिणामस्वरूप, 22 सितंबर 2015 को स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने अपने शिष्यों के साथ इसके विरोध में धरना प्रदर्शन किया था, और पुलिस ने उन्हें हटाने के लिए लाठी चार्ज किया था। इस दौरान, अजय राय ने नेतृत्व किया और 5 अक्टूबर को अन्याय प्रतिकार यात्रा का आयोजन किया था। इस प्रकरण में पुलिस ने अदालत में अजय राय समेत 82 लोगों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया था।